bhairav kavach - An Overview
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वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा
कूर्चद्वन्द्वं महाकाल प्रसीदेति पदद्वयम् ।
कुंकुमेनाप्टगन्धेन गोरोचनैश्च केशरैः।
ವಾಮದೇವೋಽವತು ಪ್ರೀತೋ ರಣೇ ಘೋರೇ ತಥಾವತು
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः
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